बज़्म को अब न आज़माओ तुम

बज़्म को अब न आज़माओ तुम बज़्म को अब न आज़माओ तुमशेरों में कुछ नया सुनाओ तुम बिन तेरे हम न जी सकेंगे अबदूर नज़रों से यूँ न जाओ तुम वो भी बेटी किसी के है घर कीअब न दुल्हन कोई जलाओ तुम अम्न का दीप है जलाया जबये अदावत भी अब मिटाओ तुम हो … Continue reading बज़्म को अब न आज़माओ तुम