बेमोल ही जो न बिके होते | Ghazal

बेमोल ही जो न बिके होते ( Bemol hi jo na bike hote )   बेमोल ही जो न बिके होते , हम महोब्बत में तुम्हारी और ही तरजीह  मिली होती , शायद हमें नज़रों में तुम्हारी दिल की शाख पर खिला था जो इक  फूल कभी रंग-ए-लहू तो था हमारा , मगर खुश्बू लिये … Continue reading बेमोल ही जो न बिके होते | Ghazal