बेमोल ही जो न बिके होते
बेमोल ही जो न बिके होते

बेमोल ही जो न बिके होते

( Bemol hi jo na bike hote )

 

बेमोल ही जो न बिके होते , हम महोब्बत में तुम्हारी
और ही तरजीह  मिली होती , शायद हमें नज़रों में तुम्हारी
दिल की शाख पर खिला था जो इक  फूल कभी
रंग-ए-लहू तो था हमारा , मगर खुश्बू लिये था तुम्हारी
कई मौसम गये बदल  ,कई मंजर दिखे आलम में
इंतज़ार वही , तकती रही नज़र सरेराह तुम्हारी
फख्त इक शौक ही है ज़िंदगी को जीने का ,
ऐ ज़ाहिद , सीने में  वो ‘संग’ रह गया ,
 धड़कनें  जब  तू ले गया जो थी कभी हमारी…

 

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Suneet Sood Grover

लेखिका :- Suneet Sood Grover

अमृतसर ( पंजाब )

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