बेशर्मी का रोग | Besharmi ka Rog
बेशर्मी का रोग ( Besharmi ka rog ) कैकयी संग भरत के, बदल गए अहसास। भाई ही अब चाहता, भाई का वनवास।। सदा समय है खेलता, स्वयं समय का खेल। सौरभ सब बेकार हैं, कोशिशें और मेल।। फोन करें बस काम से, यूं ना पूछे हाल। बोलो कब तक हम रखें, सौरभ उनका ख्याल।। जिन … Continue reading बेशर्मी का रोग | Besharmi ka Rog
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