Hindi Poetry On Life | Hindi Poem -भाग्यहीन

भाग्यहीन ( Bhaagyaheen )   कहाँ  गए  रणछोड  द्रौपदी, पर  विपदा अब भारी है। रजस्वला तन खुले केश संग,विपद में द्रुपद कुमारी है।   पूर्व जन्म की इन्द्राणी अब, श्रापित सी महारानी है। पांच महारथियों की भार्या, धृत की जीती बाजी है।   हे केशव हे माधव सुन लो, भय भव लीन बेचारी है। नामर्दो … Continue reading Hindi Poetry On Life | Hindi Poem -भाग्यहीन