गिर के उठनी | Bhojpuri Kavita Gir ke Uthani

” गिर के उठनी “ ( Gir ke uthani )   आज उठे के समय हमरा मिलल देख हमरा के कवनो जल उठल खिंच देलक गोंड हमर ऐ तरह से गिर ग‌इनी देख दुनिया हंस पड़ल का करती हम अभीन उठल रहनी मंजिल रहे दूर मगर अब ना सुतल रहनी देख इ हंसी अब हम … Continue reading गिर के उठनी | Bhojpuri Kavita Gir ke Uthani