भुजंग हुआ बदनाम व्यर्थ ही | Kavita Bhujang hua Badnam

भुजंग हुआ बदनाम व्यर्थ ही ( Bhujang hua badnam vyarth hi )    भुजंग हुआ बदनाम व्यर्थ ही अजगर पाले बैठे हैं। जहर उगल रहा है आदमी घट नाग काले बैठे हैं। छल छद्मो की भाषा बोले नैन आग बरसते अंगारे। वाणी के छोड़े तीर विषैले मन ईर्ष्या द्वेष भरे सारे। सर्पों का सारा विष … Continue reading भुजंग हुआ बदनाम व्यर्थ ही | Kavita Bhujang hua Badnam