बोझिल सांसें | Bojhil saansein ghazal

 बोझिल सांसें  ( Bojhil saansein )   ❣️ रोज़ निकली दिल से ही आहें बहुत आजकल बोझिल रहती सांसें बहुत ❣️ ढूंढ़ता ही मैं रहा राहें वफ़ा बेवफ़ा मिलती रही राहें बहुत ❣️ जख़्म कुछ ऐसे मिले अपनों से है रोज़ अश्कों में भीगी आंखें बहुत ❣️ प्यार की बातें नहीं वो करते है अपने … Continue reading बोझिल सांसें | Bojhil saansein ghazal