बूँदों की सरगम | Boondon ki Sargam
” बूँदों की सरगम “ ( Boondon ki sargam ) बूंँदों की रुन झुन है सावन में या कहीं सरगम बज़ी। हवाओं की थिरकन है या मौसम ने नयी धुन है रची! जुगलबंदी करती हवा छेड़- छेड़ फुहारों को, दोहरा रही बंदिश वही ख़ुशामदीद है सावन की, लपक – झपक कटार सी चमकती तड़ित … Continue reading बूँदों की सरगम | Boondon ki Sargam
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