बुढ़ापे की देहरी | Budhape ki dehri | Chhand

बुढ़ापे की देहरी ( Budhape ki dehri ) मनहरण घनाक्षरी बुढ़ापे की देहरी पे, पग जब रख दिया। हाथों में लकड़ी आई, समय का खेल है।   बचपन याद आया, गुजरा जमाना सारा। बालपन की वो यादे, सुहानी सी रेल है।   भागदौड़ जिंदगी की, वक्त की मार सहते। लो आया बुढ़ापा देखो, नज़रो का … Continue reading बुढ़ापे की देहरी | Budhape ki dehri | Chhand