चाय के घूंट ( Chai ke ghoont ) चाय के गौरव का क्या कहना,नाम आते ही चेहरे पर शबाब आया।पिलाने वाले साकी की बातनही टाली जाती,करके तौबा इसे पीली जाती है।नीलगिरी की वादियों में हैं,चाय के बागान।सुहाना था इसकी आन शान,रहें थे इक दिन हम इस बाग के –आशियाने में।देखें सुबह की धुंध,बालकनी पर दो … Continue reading चाय के घूंट | Chai ke Ghoont
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