चल अकेला | Geet chal akela

चल अकेला  ( Chal akela )    चल अकेला चल अकेला छोड़ मेला। चलने में झिझकन ये कैसी जब तूं आया है अकेला।‌।चल० कंचनजड़ित नीलमणित महल सब अध्यास हैं ये, सत्य कंचन मनन मंथन मणि तुम्हारे पास हैं ये, तूं अमर पथ पथिक जबकि जगत है दो-दिन का मेला।।चल० गगनचुंबी सृंग अहं किरीट मनस मराल … Continue reading चल अकेला | Geet chal akela