करवा का चाँद | Chand Shayari

करवा का चाँद ( Karwa ka chand )   चांद , रोजा रख कर या भूखे  रहकर तुझे मनाना पड़े  मुहब्बत मेरी उस मुकाम  पर है, कि कोई गवाह  बनाना पड़े   अब्र में छुपे कभी जमीं के  साए में तू, मर्जी तेरी इक महज मेरा नहीं है तू , कि मुझे ही तुझे रिझाना … Continue reading करवा का चाँद | Chand Shayari