Hindi Kavita | चार लाइनें

मुक्तक मुस्कुराते फूल सा खिलने भी आया कीजिये।घाव औरों के कभी सिलने भी आया कीजिये।एक दिन भगवान ने इक बड़ा सा ताना दिया-मांगने आते हो बस, मिलने भी आया कीजिये। देशपाल सिंह राघव ‘वाचाल’ —0— अपने कभी भी संभल नहीं पाते हैं।जब अपने छोड़ चले जाते हैं।जीना हो जाता कितना दूभर,यह हम तभी समझ पाते … Continue reading Hindi Kavita | चार लाइनें