Hindi Kavita | चार लाइनें

अपने कभी भी संभल नहीं पाते हैं।जब अपने छोड़ चले जाते हैं।जीना हो जाता कितना दूभर,यह हम तभी समझ पाते हैं ! सुमित मानधना ‘गौरव’ —0— उम्मीदें एक उम्मीदें ही है जो कभी हारती नहीं।बस कोरी बातें ही जिंदगी संवारती नहीं।माथे से मेहनत का पसीना जब गिरता है।सच में आदमी का भाग्य तभी फिरता है। … Continue reading Hindi Kavita | चार लाइनें