Hindi Kavita | Hindi Poetry | Hindi Poem | चार लाइनें

जुनून मंजिल यूं ही नहीं मिलती राही को पूछो चिड़ियों से घोंसले की कहानी तिनका तिनका चोंच उठाए उड़ती रहती । शेखर कुमार श्रीवास्तव दरभंगा,बिहार अकेला रंग नही है अब कोई भी, जीवन की रंगोली में। जाने कितने जहर भरे है, अब लोगी की बोली में। चेहरे पर भी इक चेहरा है, कैसे किसको पहचाने, … Continue reading Hindi Kavita | Hindi Poetry | Hindi Poem | चार लाइनें