Hindi Kavita | चार लाइनें

संविधान के कारण बदल गई तकदीर तुम्हारी, संविधान के कारण भाय,सभी दुखों से मुक्ति पाए, मानव तुम कहलाए भाय,देवी देवता काम न आए, आगे भी न आए भाय,गुण गाओ तुम भीम राव के, संग इलाहाबादी भाय। श्याम लाल —0— सबको है हक़ मंदिर की आरती हो या मस्जिद की हो अज़ान सबको है हक़ बराबर … Continue reading Hindi Kavita | चार लाइनें