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कोई जुर्म नहीं दो दिलों का मिलन जुलना कोई जुर्म नहीं दो दलों का मिलना जुलना कोई जुर्म नहीं मगर ज़माना नहीं देता इजाज़त ज़ाहरी त़ौर ‘कागा’ दो पलों का मिलना जुलना कोई जुर्म नहीं डा, तरूण राय कागा पूर्व विधायक वो दिन वो दिन गुज़र गये जब पसीना गुलाब था वो दिन लद गये … Continue reading Hindi Kavita | Hindi Poetry | Hindi Poem | चार लाइनें