चेहरा | Chehra par Bhojpuri Kavita
चेहरा ( Chehra ) कहाँ गेईल ऊ माटी पे से चेहरा टाटी पे रचल बतावे कुछ गहरा गांव देहत में लऊके सुनहारा मिट गईल बा ओपे पहरा हर टाटी पे कुछ अलग गढ़ल रहे हिरण के पिछले बाघ दऊड़त रहे जिंदगी और मौऊत दूनो झलकत रहे अइशन रहस्य ओपे मढल रहत रहे … Continue reading चेहरा | Chehra par Bhojpuri Kavita
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