Chehra par Bhojpuri Kavita
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चेहरा

( Chehra ) 

 

कहाँ गेईल ऊ माटी पे से चेहरा

टाटी पे रचल बतावे कुछ गहरा

गांव देहत में लऊके सुनहारा

मिट गईल बा ओपे पहरा

 

हर टाटी पे कुछ अलग गढ़ल रहे

हिरण के पिछले बाघ दऊड़त रहे

जिंदगी और मौऊत दूनो झलकत रहे

अइशन रहस्य ओपे मढल रहत रहे

 

इयद बहुत आवेला ऊ दिन

माटी में लोटाईल, माटी से हर दिन

बिन कागज ,कलम ,दावत बिन

अंगुली से बनाई माटी पे देख चित्र

 

चित्रा कला के रहे नमुना

हस्त कला के उपजल सोना

देख चित्र कुछ इयाद दिलावे

दिमाग में सट के रहस्य बनवे

 

मगर जवाना अइसन पलटाईल

टाटी के जगह ईट जोड़ईल

प्रकृति से साफे मुंह मोडाईल

आपन कला अपना हंथो लुटाईल

 

रचनाकार – उदय शंकर “प्रसाद”
पूर्व सहायक प्रोफेसर (फ्रेंच विभाग), तमिलनाडु
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