चिंतन | Chintan par Chhand

चिंतन ( Chintan )  मनहरण घनाक्षरी   विद्वान चिंतक हुए, पथ प्रदर्शक भारी। देश का उत्थान करे, चिंतन भी कीजिए। मंथन हो विचारों का, उर भाव उद्गारों का। जनहित सरोकार, अमल में लीजिए। वादों की भरमारों को, सत्ता की दरकारों को। नेताजी की छवि जरा, परख भी लीजिए। सोचिए विचारिये भी,हृदय उतारिए भी। चिंतन मनन … Continue reading चिंतन | Chintan par Chhand