बिन चिता के ही चिता की सी तपन | Chita par Kavita

बिन चिता के ही चिता की सी तपन ( Bin chita ke hi chita ki si tapan )    बिन चिता के ही चिता की सी तपन हो गई। जल उठी देह सारी आग सी अगन हो गई। बिन पीर के ही हमें पीर की सी जलन हो गई। शब्द बाण ऐसे चले शंका सारी … Continue reading बिन चिता के ही चिता की सी तपन | Chita par Kavita