दरिद्रता | Daridrata

दरिद्रता ( Daridrata )   सुबह सबेरे तड़तड़ाहट की आवाज कानों में पड़ते ही नीद टूटी,मैं जाग पड़ा, देखा कि लोग सूप पीट पीट कर दरिद्र” भगा रहे थे घर के कोने-कोने से आंगन बाग बगीचे से, मैं समझ न पाया दरिद्र कहां है? कौन है? भागा या नहीं! दरिद्र मनुष्य खुद अपने कर्म से … Continue reading दरिद्रता | Daridrata