दशानन | Dashanan

दशानन ( Dashanan )  ( 2)  जली थी दशानन की नगरी कभी कभी हुआ था वध रावण के तन का जला लो भले आज पुतले रावण के उसने चुन लिया है घर आपके मन का.. मर गया हो भले वह शरीर के रूप मे किंतु कर रहा रमन विभिन्न स्वरूप मे बसा ,हुआ खिल खिला … Continue reading दशानन | Dashanan