दीपोत्सव ( Deepotsav ) कातिक मास अमावस रैन बिना घर कंत जले कस बाती। खेतन में पसरी बजरी डगरी बहु चोर फिरें दिन राती। गावत गान पिटावट धान कटी उरदी कृषिका पुलकाती। घात किए प्रिय कंत बसे परदेश न भेजत एकहुँ पाती।। चंचल चित्त चलै चहुँ ओर गई बरखा अब शीत समानी। छाछ दही … Continue reading दीपोत्सव | Deepotsav
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