दीवार खड़ी हो गयी | Ghazal

दीवार खड़ी हो गयी ( Deewar khadi ho gayi )   उतरेगा वो फलक से सबकी नज़र रही। उम्मीद वस्ल-ए-खास की अक्सर जब़र रही। कहने को तुम सही थे हम भी कहां गलत, दीवार खड़ी हो गयी गलती मगर रही।। शीशे ने टूटने की जिद ठान ली आखिर, उस पर वफा हमारी तो बेअसर रही।। … Continue reading दीवार खड़ी हो गयी | Ghazal