खुद से पहले देश की सोचो | Desh Prem par Kavita

खुद से पहले देश की सोचो ( Khud se pahle desh ki socho )   खुद से पहले देश की सोचो, स्वार्थ को सब त्यागो। देश प्रेम की बहा दो गंगा, हर भारतवासी जागो। एकता अनुराग नेह की, बहती चले बहार। राष्ट्रधारा में महक उठे, अपना सुंदर संसार। शासन सत्ता कुर्सी को, सुख साधन न … Continue reading खुद से पहले देश की सोचो | Desh Prem par Kavita