ढ़ल रहा है सूरज होने को शाम है

ढ़ल रहा है सूरज होने को शाम है     ढ़ल रहा है सूरज होने को शाम है और मछली पकड़े है मछयारा देखो   राह देखें है बच्चें भूखे बैठे है लेकर आयेगे खाना पिता खाने को   नाव में ही खड़ा है आदमी मुफ़लिसी वो ही मछली पकड़के गुजारा करता   बादलो में … Continue reading ढ़ल रहा है सूरज होने को शाम है