![dhal raha sooraj ढ़ल रहा है सूरज होने को शाम है](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2020/10/dhal-raha-sooraj-696x435.jpg)
ढ़ल रहा है सूरज होने को शाम है
ढ़ल रहा है सूरज होने को शाम है
और मछली पकड़े है मछयारा देखो
राह देखें है बच्चें भूखे बैठे है
लेकर आयेगे खाना पिता खाने को
नाव में ही खड़ा है आदमी मुफ़लिसी
वो ही मछली पकड़के गुजारा करता
बादलो में छायी सूरज की लाली है
जाल फेंके है पानी में ये आदमी
देखिए हो रही शाम सूरज ढ़ला
जाल ये आदमी ही पकड़े खड़ा
दिन निकलेगा नए किरणों के साथ में
और आज़म होगी हर घर में ही ख़ुशी