ढलती साँझ ( Dhalti saanjh ) ढलती साँझ के साये तले कदम हमारे हैं बढ़ चले गहराती रात का अंदेशा है कल के आगाज का यही संदेशा है बदली हुई धाराओं का शोर है एक अलग ही अंदाज चहुँओर है भूल चुके हैं दिन की तपिश को हम जाने कल आने वाली कैसी भोर … Continue reading ढलती साँझ | Dhalti Saanjh
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