धन्य त्रयोदशी सबसे निस्पृह महावीर प्रभु अनंत चतुष्टय रत रहते,समवसरण की बाह्य लक्ष्मी पर भी चौ अंगुल स्थित रहते,कार्तिक मास की त्रयोदशी पर तीर्थंकर पुण्य भी त्याग दिया,सारा वैभव पीछे छूटा प्रभु एकल विहार रत रहते !! धन्य हुई कार्तिक त्रयोदशी आपने योग निरोध किया,मन वच काय साध आपने आत्म तत्व को शोध लिया ,योग … Continue reading धन्य त्रयोदशी
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