धीरे-धीरे ( Dhire Dhire ) साजिश का होगा,असर धीरे-धीरे। फिजाँ में घुलेगा ,जहर धीरे-धीरे। फलाँ मजहब वाले,हमला करेंगे, फैलेगी शहर में,खबर धीरे-धीरे। नफरत की अग्नि जलेगी,हर जानिब, धुआँ-धुआँ होगा,शहर धीरे-धीरे। मुहल्ला-मुहल्ला में,पसरेगा खौप, भटकेंगे लोग दर,बदर धीरे-धीरे। सियासत के गिद्ध,मँडराने लगेंगे, लाशों पर फिरेगी,नज़र धीरे-धीरे। कवि : बिनोद बेगाना जमशेदपुर, झारखंड … Continue reading Kavita धीरे-धीरे
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