
धीरे-धीरे
( Dhire Dhire )
साजिश का होगा,असर धीरे-धीरे।
फिजाँ में घुलेगा ,जहर धीरे-धीरे।
फलाँ मजहब वाले,हमला करेंगे,
फैलेगी शहर में,खबर धीरे-धीरे।
नफरत की अग्नि जलेगी,हर जानिब,
धुआँ-धुआँ होगा,शहर धीरे-धीरे।
मुहल्ला-मुहल्ला में,पसरेगा खौप,
भटकेंगे लोग दर,बदर धीरे-धीरे।
सियासत के गिद्ध,मँडराने लगेंगे,
लाशों पर फिरेगी,नज़र धीरे-धीरे।
कवि : बिनोद बेगाना
जमशेदपुर, झारखंड