Kavita धीरे-धीरे

धीरे-धीरे ( Dhire Dhire )     साजिश का होगा,असर धीरे-धीरे। फिजाँ में घुलेगा ,जहर धीरे-धीरे।   फलाँ मजहब वाले,हमला करेंगे, फैलेगी शहर में,खबर धीरे-धीरे।   नफरत की अग्नि जलेगी,हर जानिब, धुआँ-धुआँ होगा,शहर धीरे-धीरे।   मुहल्ला-मुहल्ला में,पसरेगा खौप, भटकेंगे लोग दर,बदर धीरे-धीरे।   सियासत के गिद्ध,मँडराने लगेंगे, लाशों पर फिरेगी,नज़र धीरे-धीरे। कवि : बिनोद बेगाना जमशेदपुर, झारखंड … Continue reading Kavita धीरे-धीरे