धुआँ धुआँ | Dhua Dhua

धुआँ-धुआँ होकर रह गईं धरती! ( नज़्म )    जंग का मैदान बनकर रह गईं धरती, लहू से लथपथ होकर रह गई धरती। थर्ड वर्ल्ड वार के मुहाने पे न पहुँचे दुनिया, बारूद का ढेर बनके रह गई धरती। अमन पसंद इधर भी हैं और उधर भी, सबका मुँह ताकती रह गईं धरती। शोलों को … Continue reading धुआँ धुआँ | Dhua Dhua