दिल-ए-नादान दिले नादान तुझे कहीं का रहने न दिया। ये कौन जाग जाग कर हमें सोने न दिया।। मुद्दतों बाद नज़र आयी थी बहार मुझे, बज्म में राज खुल जाने का डर रोने न दिया।। लोग नहला धुला के कब्र तक पहुंचा आये, मेरे घर में मुझे कुछ देर भी रहने … Continue reading दिल-ए-नादान
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed