दो अज़नबी एक रात

दो अज़नबी एक रात पूँछ ले ऐ मुसाफ़िर रात की तन्हाई का सहारा lकलम कह उठेगी देख आसमान में चमकता सितारा llचाँद भी ऐंठकर चिल्ला उठता है lजब मेरे संघ एकऔर चाँद दिखता है ll चाँद ने पूँछा किसओर है चित lबीते पलकी ओर है पूँछ मत llकह दो ,ढलती रात में बढ़ता अंधेरा है … Continue reading दो अज़नबी एक रात