सागर फैला दर्द है पर्वत फैली पीर | Dohe Sagar Phaila Dard
सागर फैला दर्द है पर्वत फैली पीर ( Sagar phaila dard hai parwat phaile peer ) सागर फैला दर्द है, पर्वत फैली पीर। अश्रुधार मोती बरसे, नैना बरसे नीर। मन मेरा घायल हुआ, चित्त थोड़ा बेचैन। अंधियारी निशा हुई, कैसे गुजरे रैन। संकट के बादल घने, बरसे मूसलाधार। पीर हर लो परमात्मा, कर दो … Continue reading सागर फैला दर्द है पर्वत फैली पीर | Dohe Sagar Phaila Dard
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