मां के आंगन की मिट्टी | Dr. Preeti Parmar Poetry

मां के आंगन की मिट्टी ( Maan ke aangan ki mitti )    दो पल के लिए मेरे मन उस रास्ते से गुजर जाऊं मां के आंगन की मिट्टी अपने आंचल में भर लाउ मां के आंचल की खुशबू अपनी सांसों में भर लाऊं आम के पेड़ और झूला धमाचौकड़ी का मंजर अपनी आंखों में … Continue reading मां के आंगन की मिट्टी | Dr. Preeti Parmar Poetry