आज का काव्यानंद | डॉ० रामप्रकाश ‘पथिक’

गुण्डा बन बैठा है नेता ( मुक्तक ) हनक दिखाकर हुआ विजेता।गुण्डा बन बैठा है नेता।।वह पूरा कलियुग है उससे,डरते सतयुग द्वापर त्रेता।। गाँव-गाँव के चक्कर काटे समांत–आटेपदांत— अपदांत सजलमात्राभार— १६ गाँव-गाँव के चक्कर काटे।सबने समझे सैर-सपाटे।। हम बंजारे लघु व्यापारी।हुए लाभ कम ज्यादा घाटे।। मिले डगर में अनगिन हमको।तन के लंबे मन के नाटे।। … Continue reading आज का काव्यानंद | डॉ० रामप्रकाश ‘पथिक’