डॉ. सत्यवान सौरभ की कविताएं | Dr. Satyawan Saurabh Hindi Poetry

सर्जन की चिड़ियाँ करें, तोपों पर निर्माण॥ ●●●बस यूं ही बदनाम है, सड़क-गली-बाजार।लूट रहे हैं द्रौपदी, घर-आँगन-दरबार॥●●●कोई यहाँ कबीर है, लगता कोई मीर।भीतर-भीतर है छुपी, सबके कोई पीर॥●●●लाख चला ले आदमी, यहाँ ध्वंस के बाण॥सर्जन की चिड़ियाँ करें, तोपों पर निर्माण॥●●●अगर विभीषण हो नहीं, कर पाते क्या नाथ।सोने की लंका जली, अपनों के ही हाथ॥●●●एकलव्य … Continue reading डॉ. सत्यवान सौरभ की कविताएं | Dr. Satyawan Saurabh Hindi Poetry