डॉ. सत्यवान सौरभ की कविताएं | Dr. Satyawan Saurabh Hindi Poetry

“ये कांवड़ उठाने से कुछ नहीं होगा” कांवड़ उठाए घूम रहा है,कंधों पे धर्म लादे जा रहा है,गांव का होनहार मर गया,माँ बेटे की राख छू रही है……और सरकार चुप है। शिक्षक था बाप, फिर भी मौन रहा,सिखा न सका—कि आस्था नहीं, पढ़ाई बचाती है!पर वो चुप रहा…क्योंकि आस-पास मंदिर थेऔर इलेक्शन नज़दीक था। बच्चा … Continue reading डॉ. सत्यवान सौरभ की कविताएं | Dr. Satyawan Saurabh Hindi Poetry