डॉ. सत्यवान सौरभ की कविताएं | Dr. Satywan Saurabh Hindi Poetry
बने संतान आदर्श हमारी
बने संतान आदर्श हमारी, वो बातें सिखला दूँ मैं।
सोच रहा हूँ जो बच्चा आये, उसका रूप, गुण सुना दूँ मैं।।
बाल घुंघराले, बदन गठीला, चाल, ढाल में तेज़ भरा हो।
मन शीतल हो ज्यों चंद्र-सा, ओज सूर्य सा रूप धरा हो।।
मन भाये नक्स, नैन हो, बातें दिल की बता दूँ मैं।
बने संतान आदर्श हमारी, वो बातें सिखला दूँ मैं।।
राह चले वो वीर शिवा की, राणा की, अभिमन्यु की।
शत्रुदल को कैसे जीते, सीख चुने वो रणवीरों की।।
बन जाये वो सच्चा नायक, ऐसे मंत्र पढ़ा दूँ मैं।
बने संतान आदर्श हमारी, वो बातें सिखला दूँ मैं।।
सीख सिख ले माँ पन्ना की, झाँसी वाली रानी की।
दुर्गावती -सा शौर्य हो, आबरू पद्मावत मेवाड़ी-सी।।
भक्ति में हो अहिल्या मीरा, ऐसी घुटकी पिलवा दूँ मैं।
बने संतान आदर्श हमारी, वो बातें सिखला दूँ मैं।।
पुत्र हो तो प्रह्लाद-सा, राह धर्म की चलता जाये।
ध्रुव तारा सा अटल बने वो, सबको सत्य पथ दिखलाये।।
पुत्री जनकर मैत्रियी, गार्गी, ज्ञान की ज्योत जलवा दूँ मैं।
बने संतान आदर्श हमारी, वो बातें सिखला दूँ मैं।।
सोच रहा हूँ जो बच्चा आये, उसका रूप, गुण सुना दूँ मैं।
बने संतान आदर्श हमारी, वो बातें सिखला दूँ मैं।।
शिक्षक तो अनमोल है
दूर तिमिर को जो करे, बांटे सच्चा ज्ञान।
मिट्टी को जीवित करे, गुरुवर वो भगवान।।
जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान।
गुरुवर तब सम्बल बने, होते बड़े महान।।
नानक, गौतम, द्रोण सँग, कौटिल्या, संदीप।
अपने- अपने दौर के, मानवता के दीप।।
चाहत को पंख दे यही, स्वप्न करे साकार।
शिक्षक अपने ज्ञान से, जीवन देत निखार।।
शिक्षक तो अनमोल है, इसको कम मत तोल।
सच्ची इसकी साधना, कड़वे इसके बोल।।
गागर में सागर भरें, बिखराये मुस्कान।
सौरभ जिनको गुरु मिले, ईश्वर का वरदान।।
शिक्षा गुरुवर बांटते, जैसे तरुवर छाँव।
तभी कहे हर धाम से, पावन इनके पाँव।।
अंधियारे, अज्ञान को, करे ज्ञान से दूर।
गुरुवर जलते दीप से, शिक्षा इनका नूर।।
लुटती जाए द्रौपदी
चीरहरण को देख कर, दरबारी सब मौन।
प्रश्न करे अँधराज पर, विदुर बने वो कौन।।
राम राज के नाम पर, कैसे हुए सुधार।
घर-घर दुःशासन खड़े, रावण है हर द्वार।।
कदम-कदम पर हैं खड़े, लपलप करे सियार।
जाये तो जाये कहाँ, हर बेटी लाचार।।
बची कहाँ है आजकल, लाज-धर्म की डोर।
पल-पल लुटती बेटियां, कैसा कलयुग घोर।।
वक्त बदलता दे रहा, कैसे- कैसे घाव।
माली बाग़ उजाड़ते, मांझी खोये नाव।।
घर-घर में रावण हुए, चौराहे पर कंस।
बहू-बेटियां झेलती, नित शैतानी दंश।।
वही खड़ी है द्रौपदी, और बढ़ी है पीर।
दरबारी सब मूक है, कौन बचाये चीर।।
लुटती जाए द्रौपदी,जगह-जगह पर आज।
दुश्शासन नित बढ़ रहे, दिखे नहीं ब्रजराज।।
छुपकर बैठे भेड़िये, लगा रहे हैं दाँव।
बच पाए कैसे सखी, अब भेड़ों का गाँव।।
नहीं सुरक्षित बेटियां, होती रोज शिकार।
घर-गलियां बाज़ार हो, या संसद का द्वार।।
सजा कड़ी यूं दीजिये, काँप उठे शैतान।
न्याय पीड़िता को मिले, ऐसे रचो विधान।।
लुटती जाए द्रौपदी, बैठे हैं सब मौन।
चीर बचाने चक्रधर, बन आए कौन।।
बोलचाल भी बंद
करें मरम्मत कब तलक, आखिर यूं हर बार।
निकल रही है रोज ही, घर में नई दरार।।
आई कहां से सोचिए, ये उल्टी तहजीब।
भाई से भाई भिड़े, जो थे कभी करीब।।
रिश्ते सारे मर गए, जिंदा हैं बस लोग।
फैला हर परिवार में, सौरभ कैसा रोग।।
फर्जी रिश्तों ने रचे, जब भी फर्जी छंद।
सगे बंधु से हो गई, बोलचाल भी बंद।।
सब्र रखा, रखता सब्र, सब्र रखूं हर बार।
लेकिन उनका हो गया, जगजाहिर व्यवहार।।
कर्जा लेकर घी पिए, सौरभ वह हर बार।
जिसकी नीयत हो डिगी, होता नहीं सुधार।।
घर में ही दुश्मन मिले, खुल जाए सब पोल।
अपने हिस्से का जरा, सौरभ सच तू बोल।।
सौरभ रिश्तों का सही, अंत यही उपचार।
हटे अगर वो दो कदम, तुम हट लो फिर चार।।
रक्षा बंधन ये कहे
रक्षा बंधन प्रेम का, मनभावन त्यौहार।
जिससे भाई बहन में, नित बढ़े है प्यार।
बहनें मांगे ये वचन, कभी न जाना भूल।
भाई-बहना प्रेम के, महके हरदम फूल।।
रेशम की डोरी सजी, बहना की मनुहार।
रक्षा बंधन प्यार का, सुंदर है त्योहार।।
रक्षा बंधन प्यार का, निश्छल पावन पर्व।
करती बहने हैं सदा, निज भाई पर गर्व।।
भाई बहना प्रेम का, सालाना त्यौहार।
बांटे लाड दुलार की, खुशियां अपरम्पार।।
रक्षा बंधन पर करें, बहनें सारी नाज।
देखे भाई कीर्तियाँ, खुशियां झलके आज।।
करती बहने विनतियाँ, सौरभ ये हर साल।
आए कोई भी समय, भैया उनकी ढाल।।
रक्षा बंधन पर्व पर, मन की गांठे खोल।
भाई-बहन स्नेह से, कर दें घर अनमोल।।
रक्षा बंधन ये कहे, बात यही हर बार।
सच्चा पवन प्यार ये, झूठा जग का प्यार।।
आये नेता द्वार
बजी दुंदभी वोट की, आये नेता द्वार।
भाईचारा बस रहे, मन में करो विचार।।
इतनी भी ना बहक हो, चुनाव के मधुमास।
रिश्तों का रोना लिखे, मितवा बारहमास।।
धन-बल-पद के लोभ की, छोड़े सौरभ प्रीत।
जो नेता जनहित करे, वोट उसे हो मीत ।।
वोट करो सब योग्य को, दाब, राग दे छोड़।
जाति-पाति की भावना, के बंधन सब तोड़।।
मूल्य वोट का है बहुत, वोट बड़ा अनमोल।
देना किसको वोट है, सौरभ मन से तोल।।
सत्ता का ये खेल है, करे प्रपंच हज़ार।
बस अपना मत देखिये, रखे सलामत प्यार।।
वोट बड़ा अनमोल है, करो न इसका मोल।
मर्जी है ये आपकी, पड़े न इसमें झोल।।
जिनकी-जिनकी वोट हैं, सुनो आज ये बात।
नेता सारे दोगले, भिड़े न हम बिन बात।।
मत पाने की होड़ में, सुन लो मेरे मीत।
भाईचारा बस रहे, मिले हार या जीत।।
अटल अटल पथ पर रहे
प्रसिद्ध कवि अति लोकप्रिय,पूजनीय इंसान।
अटल बिहारी देश के, रहे विभूति महान।।
अटल बिहारी ने दिए, भारत को प्रतिमान।
मानें उनको आज हम, फिर से बने महान।।
दुश्मन के दिल में बसे, करते हृदय शुद्ध।
देख अटल की शक्तियां, हँस दिए थे बुद्ध।।
रार नहीं ठानी कभी, मानी कभी न हार।
अटल अटल-सी होड़ थे, किये काल पर वार।।
राजनीति का अर्थ नव, शासन के दिनमान।
अटल अटल पथ पर रहे, सतत रहे गतिमान।।
देशहित में लगे रहे, पल-पल किए प्रयत्न।
सत्यमेव थे आप ही, सचमुच भारत रत्न।।
तुंग गिरि के शिखर चढ़े, अटल धीर गम्भीर।
विश्व मंच हिंदी बढ़ी, खींची अटल लकीर।।
अटल हमारे अटल है, अटल रहे निर्बाध।
छाप अटल जो रच गए, दिल में है आबाद।।
ऋणी रहे ये आपका, सौरभ हिंदुस्तान।
मरकर भी हैं कब मरे, अटल सपूत महान।।
उड़े तिरंगा बीच नभ
आज तिरंगा शान है, आन, बान, सम्मान।
रखने ऊँचा यूँ इसे, हुए बहुत बलिदान।।
नहीं तिरंगा झुक सके, नित करना संधान।
इसकी रक्षा के लिए, करना है बलिदान।।
देश प्रेम वो प्रेम है, खींचे अपनी ओर।
उड़े तिरंगा बीच नभ, उठती खूब हिलोर।।
शान तिरंगा की रहे, दिल में लो ये ठान।
हर घर, हर दिल में रहे, बन जाए पहचान।।
लिए तिरंगा हाथ में, खुद से करे सवाल।
देश प्रेम के नाम पर, हो ये ना बदहाल।।
लिए तिरंगा हाथ में, टूटे नहीं जवान।
सीमा पर रहते खड़े, करते सब बलिदान।।
लाज तिरंगा की रहे, बस इतना अरमान।
मरते दम तक मैं रखूँ, दिल में हिंदुस्तान।।
सदा तिरंगा यूं लहराये
दुश्मन को ये धूल चटाये।
विश्व विजेता बनता जाये।
आसमान को छूकर आये,
सदा तिरंगा यूं लहराये।।
वीरों की आन बान है ये।
मातृभूमि की शान है ये।
भारत की पहचान है ये,
बच्चों को ये बात बताये।
सदा तिरंगा यूं लहराये।।
लिए समृद्धि रंग हरा है।
केसरिया कुर्बानी भरा है।
और सफ़ेद शांति धरा है,
चक्र नीला प्रगति लाये।
सदा तिरंगा यूं लहराये।
इस झंडे की साख बड़ी है।
आजादी की बात जुडी है।
झंडे से ही कसम खड़ी है,
इस खातिर सब मर मिट जाये।
सदा तिरंगा यूं लहराये।।
बच्चों झंडा ध्येय हमारा।
ये ही तन मन धन है सारा।
प्यारा भारत देश हमारा,
विश्व विजेता बनता जाये।
सदा तिरंगा यूं लहराये।।
हरियाली तीज
सावन में है तीज का, एक अलग उल्लास |
प्रेम रंग में भीग कर, कहती जीवन खास | |
जैसे सावन में सदा, होती खूब बहार |
ऐसे ही हर घर सदा, मने तीज त्योहार | |
हाथों में मेंहदी रची, महक रहा है प्यार |
चूड़ी, पायल, करधनी, गोरी के श्रृंगार | |
उत्सव, पर्व, समारोह है, ये हरियाली तीज |
आती है हर साल ये, बोने खुशियां बीज | |
अगर हमीं बोते रहे, राग- द्वेष के बीज |
होंगे फीके प्रेम बिन, सावन हो या तीज ||
बोए मिलकर हम सभी, अगर प्रेम के बीज |
रहे न चिन्ता दुख कभी, हर दिन होगी तीज ||
प्यार-प्रेम सिंचित करें, हृदय यूं दे बीज |
हरी-भरी हो जिंदगी, तभी सफल हो तीज ||
भावहीन अब हो रहे, सभी तीज त्यौहार |
लगे प्यार के बीज यदि, मिटे दिलों की रार | |
सावन झूले हैं कहाँ, और कहाँ है तीज |
मन में भरे कलेश के, सबके काले बीज | |
मन को ऐसे रंग लें, भर दें ऐसा प्यार |
हर पल हर दिन ही रहे, सावन का त्यौहार | |
डॉo सत्यवान सौरभ
कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,
333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी,
हरियाणा
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