दुनिया | Poem on Duniya

दुनिया ( Duniya )   है  कितनी  आभासी  दुनिया, कुछ ताजी कुछ बासी दुनिया।   किसी की खातिर बहुत बड़ी है, मेरे  लिए   जरा  सी  दुनिया।   युगों-युगों  से  परिवर्तित है, फिर भी है अविनाशी दुनिया।   चमक  दमक के पीछे भागे, हैं दौलत की प्यासी दुनिया।   सबको शिकायत है दुनिया से, फिर भी … Continue reading दुनिया | Poem on Duniya