एक चने ने

एक चने ने मेरे आँगन नित्य सवेरे बुलबुल आती एकसच्च बोलो-सच बोलो की मधुर लगाती टेक मधुर लगाकर टेक मुझे हैरान करेकैसी खोटी बातें ये नादान करे झूठा और बेईमान भला सच कैसे बोलेज़हर बेचने वाला अमृत कैसे तौले मूरख पंछी मुझको कैसी सीख दे रहानहीं चाहिए बिन मांगे क्यों भीख दे रहा तेरी मीठी … Continue reading एक चने ने