मैं कोई फरिश्ता नहीं | Farishta

मैं कोई फरिश्ता नहीं! ( Main koi farishta nahi )   इतना काफी है जमाने को बताने के लिए, आजकल आती नहीं हमको रुलाने के लिए। कहानी तैरती है उसके दिल की झीलों में, उतरती दरिया नहीं बेसुध नहाने के लिए। हुस्न की गागर वो चलने पे छलकती ही है, बढ़ती बेताबियाँ हमको जलाने के … Continue reading मैं कोई फरिश्ता नहीं | Farishta