Hindi Kavita | Hindi Poetry -गलतफहमी!
गलतफहमी! ( Galatfahmi ) ***** वो समझते हैं समझते नहीं होंगे लोग। वो उलझते हैं पर उलझते नहीं हैं लोग। वो सुलगाते हैं पर सुलगते नहीं हैं लोग। उम्र कद कर्म अनुभव संस्कार की कमी, लहजे से ही दिख जाता है, हर कहीं। कुछ ज्यादा ही उछलते है वो, आका के संरक्षण में पलते हैं … Continue reading Hindi Kavita | Hindi Poetry -गलतफहमी!
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