गीले नयन | Geele Nayan

गीले नयन ( Geele nayan )  हो गये गीले नयन, बीता हुआ कुछ याद आया। मूल प्रति तो खो गई, उसका सकल अनुवाद आया। चित्र जो धुंधले हुये थे इक समय की धूल से। आ गया झोंका पवन का खिल उठे फिर झूल से। जो हुआ, कैसे हुआ सब कौन छल कर चल दिया। व्यथित … Continue reading गीले नयन | Geele Nayan