अब सावन के झूले | Geet Sawan ke Jhoole

अब सावन के झूले ( Ab sawan ke jhoole )   अब सावन के झूले होंगे, मस्त चलेगी पुरवाई। रिमझिम रिमझिम वर्षा होगी, नभ घटाएं घिर आई।   धानी चुनर ओढ़ धरा, मंद मंद मन मुस्काई। बाग बगीचे पुष्प खिले, महक रही है अमराई ।   धरती अंबर पर्वत नदियां, उमंगों से हो भरपूर। सरितायें … Continue reading अब सावन के झूले | Geet Sawan ke Jhoole