भूले से चेहरे | Geet bhoole se chehre
भूले से चेहरे ( Bhoole se chehre ) भूले से चेहरे कितने ही, आँखों में घिर आए हैं ! अपना भी चेहरा है उनमें, या हम फिर भरमाए हैं !! प्रातः कीआशा बन आये, हैं जग में कब से उजियारे लेकिन अबभी अन्धियारों से,भरे हुए घरके गलियारे मैं अपने आँगन में बैठा … Continue reading भूले से चेहरे | Geet bhoole se chehre
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