जब छाई काली घटा जब छाई काली घटा, उमड़ घुमड़ मेंघा आए। रिमझिम बदरिया बरसे, उपवन सारे हरसाए। जब छाई काली घटा घन गाए बिजली चमके, नेह बरसे हृदय अपार। मूसलाधार बूंदे पड़ रही, सावन की मधुर फुहार। ठंडी ठंडी मस्त बहारें, भावन अंबर में छाई घटा। दमक रही दामिनी गड़ गड़, व्योम में बादल … Continue reading जब छाई काली घटा
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