तुम क्या कहोगे | Geet Tum kya Kahoge

तुम क्या कहोगे ( Tum kya Kahoge )   हम हलकानी में जी लेते हैं, तुम क्या कहोगे हम आग-पानी में जी लेते हैं, तुम क्या कहोगे। बोते हैं गेहूंँ काटते हैं गेहूंँ बटाई के खेत लिए हम फूसपलानी में जी लेते हैं, तुम क्या कहोगे। हमारे बच्चे होटल में धोते हैं प्लेट पेट के … Continue reading तुम क्या कहोगे | Geet Tum kya Kahoge