यह आग अभी | Geet Yah Aag

यह आग अभी ( Yah Aag Abhi ) यह आग अभी तक जलती है ,मेरे आलिंगन में। स्वर मिला सका न कभी कोई ,श्वासों के क्रंदन में ।। जब छुई किसी ने अनायास ,भावुक मन की रेखा । दृग-मधुपों ने खुलता स्वप्नों, का शीशमहल देखा। खिल उठे पुष्प कब पता नहीं ,सारे ही मधुवन में।। … Continue reading यह आग अभी | Geet Yah Aag