घर की इज्जत, बनी खिलौना | Ghar ki Izzat
घर की इज्जत, बनी खिलौना ( Ghar ki izzat, bani khilauna ) अब कहां कोई खेलता है, खिलौनों से साहब?? अब तो नारी की अस्मिता से खेला जाता है। यत्र पूज्यंते नार्याः, रमंते तत्र देवता, बस श्लोकों में ही देखा जाता है। तार तार होती हैं घर की इज्जत, बड़ी शिद्दत से खेल सियासत … Continue reading घर की इज्जत, बनी खिलौना | Ghar ki Izzat
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